अंधविश्वास - एक लेख आपके लिए

 *अंधविश्वास*
मित्रों, आजकल यह शब्द फैशन में है।हम थोड़ा पढ़ा कि बात-बात पर अंधविश्वास कहते नहीं थकते।मेरी राय में सजीवों के बीच केवल विश्वास होता है और अंध कुछ नहीं है।इस जीवन को मशीन, नियम कानून और किसी ग्रंथ से चलाने की गलती हमें नहीं करना चाहिए।क्योंकि उपर्युक्त तीनों तथ्य शाश्वत नहीं हैं जबकि  सजीवता अमर है।हम सजीव हैं और अमर हैं तो हमें निर्जीव तथ्य कैसे चला सकते हैं?
         
अब बात आती है अंध विश्वास की तो क्या हैअंध विश्वास?सती होना/बाल विवाह/विधवा होना/गुरु सेवा/वृद्ध सेवा आदि।

    मनु 16 साल की और उनके पति 56के,महान समाज सुधारक केशवचंद्र सेन ने अपनी 13 साल की पुत्री का विवाह कूचबिहार के राजा से किया, तमिल पिता पेरियार अपने से40साल छोटी महिला से विवाह किया।
      कहते हैं टैगोर अपनी मां की 14वीं संतान थे,रामजी गर्भवती पत्नी को वन भेज दिया, मोदी 16वर्षीय पत्नी को छोड़ दिया, भगवान बुद्ध अपनी पत्नी पुत्र का परित्याग कर दिया।
 
इन सब विषयों पर हम कितना हायतौबा मचाते हैं?लगता नहीं है कि हम दूसरों के घरों में नाहक ताकझांक करते हैं।मनुष्य अपनी समय परिस्थितियों के अनुसार जीता है।वह निर्जीव मशीन की तरह से नहीं चल सकता।किसी लड़की को16 साल मे प्यार हो जाये तो वह 18तक इंतजार नहीं करेगी।

मित्रों, सती होना किसी कानून में मना नहीं है।और विवाह की उम्र 18-21का पालन कितने लोग करते हैं यह जग जाहिर है।
 हम न तो विद्वान हैं और न प्रवचनकर्ता।हम लोग शिक्षक हैं।अतः शिक्षक धर्म का पालन करें।समाज सुधारक/नेता/वादों ने अनेक विवाद पैदा करके देश और समाज का बंटाढार कर दिया है।अब जनता को एक मात्र आशा शिक्षक से है।

वास्तव में संसार में अंध विश्वास नामक कोई भाव नहीं है।केवल एक भाव विश्वास है। महात्मा गांधी ने जो जीवन जिया।बहुत आगे की पीढियां उनकी कहानी को अंधविश्वास मानेंगी।
मित्रों कोई कहानी अंधविश्वास नहीं होती अपितु अतीत के आइने में कुछ लोग उसे अंधविश्वास मानते हैं जो ठीक नहीं है।
चलो इस जीवन को प्रेम के विश्वास और लोकहित के धागे में पिरोकर जियें तो जीवन की नयी डगर मिल जायेगी।
     

Comments

Popular posts from this blog

नई शिक्षा नीति 2021

Blogger kya hai

Facts kya hote hai ?